विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस
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अंतर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस विश्वभर में प्रत्येक वर्ष 18 दिसंबर को मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
इस दिवस का उद्देश्य अल्पसंख्यकों के लिए स्वतंत्रता और समानता के अधिकार को बनाए रखना तथा अल्पसंख्यकों के सम्मान के प्रति जागरूकता पैदा करना है।
यह दिवस विभिन्न जातीय मूल के अल्पसंख्यक समुदायों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
सरकार इस दिन गैर-भेदभाव और समानता के उनके अधिकारों की गारंटी के प्रयासों को सुनिश्चित करती है।
2022 का विषय "ऑल इन 4 माइनॉरिटी राइट्स" है।
भारत में इस दिवस का आयोजन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना वर्ष 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा की गई थी।
दिन की पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र ने 18 दिसंबर, 1992 को धार्मिक या भाषाई राष्ट्रीय या जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्ति के अधिकारों पर वक्तव्य को अपनाया और प्रसारित किया।
अल्पसंख्यक कौन हैं?
संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, ऐसा समुदाय जिसका सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक रूप से कोई प्रभाव न हो और जिसकी आबादी नगण्य हो, उसे अल्पसंख्यक कहा जाएगा।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29, 30, 350A तथा 350B में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन इसकी परिभाषा नहीं दी गई है।
भारत में, अल्पसंख्यक मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी (पारसी) और जैन धर्मों पर लागू होते हैं।
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