अफ्रीका ने गैर-संचारी रोगों के खिलाफ पेन-प्लस रणनीति अपनाई
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हाल ही में अफ्रीका ने गंभीर गैर-संचारी रोगों (NCD) के निदान, उपचार और देखभाल तक पहुँच को बढ़ावा देने के लिये पेन-प्लस रणनीति नामक नई रणनीति अपनाई हैI
पेन-प्लस रणनीति :
यह प्रथम स्तर की संदर्भित स्वास्थ्य सुविधाओं में गंभीर गैर-संचारी रोगों को संबोधित करने के लिये क्षेत्रीय रणनीति है।
रणनीति का उद्देश्य पुराने और गंभीर NCDs रोगियों के उपचार और देखभाल में पहुँच के अंतर को समाप्त करना है।
यह देशों से आग्रह करता है कि पुरानी और गंभीर गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिये मानकीकृत कार्यक्रम स्थापित करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ज़िला अस्पतालों में आवश्यक दवाएँ, प्रौद्योगिकियाँ तथा निदान उपलब्ध एवं पहुँच योग्य हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य -
गैर-संचारी रोग :
गैर-संचारी रोग वह चिकित्सीय स्थितियाँ या रोग हैं जो संक्रामक कारकों के कारण नहीं फैलती हैं।
गैर-संचारी रोगों को पुरानी बीमारियों के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वे लंबे समय तक चलने वाली होती हैं और आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरणीय और व्यवहारिक कारकों के संयोजन से उत्पन्न होती हैं।
NCD में हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, अस्थमा आदि शामिल हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ये वैश्विक स्तर पर 71% मौतों का कारण बनते हैं।
अफ्रीकी क्षेत्र में NCD के कारण मृत्यु दर का अनुपात 27-88% के बीच है।
भारत में गैर-संचारी रोगों (NCDs) की स्थिति :
भारत मेंं प्रत्येक वर्ष लगभग 58 मिलियन लोगों की (WHO रिपोर्ट, 2015) NCDs से मृत्यु हो जाती है या दूसरे शब्दों में 4 में से 1 भारतीयों को 70 वर्ष की आयु तक पहुँचने से पूर्व ही NCDs से मौत की आशंका होती है।
इसके अलावा यह पाया गया है कि NCDs की वजह से वर्ष 1990 में 'विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष' (DALYs) की अवधि 30% बढ़कर वर्ष 2016 में 55% हो गई है और इसके कारण होने वाली मौतों के अनुपात में भी वृद्धि हुई है।
NCDs (सभी प्रकार की मौतों के लिये) वर्ष 1990 में 37% से बढ़कर वर्ष 2016 में 61% हो गई थी।
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