लोकसभा ने वन्यजीव (संरक्षण), संशोधन विधेयक, 2021 पारित किया

Tags: National News


वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 लोकसभा द्वारा 2 अगस्त को पारित कर दिया गया। विधेयक के अंतर्गत वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन किया जाएगा।

विधेयक का उद्देश्य

  • विधेयक का मुख्य उद्देश्य सीआईटीईएस को लागू करना है, सीआईटीईएस एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिस पर 1973 में सरकारों द्वारा हस्ताक्षर किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जंगली जानवरों और पौधों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बचाया जा सके।

विधेयक की मुख्य विशेषताएं

  • देश में जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों के संरक्षण को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने के लिए वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन विधेयक पहली बार पिछले साल दिसंबर में संसद में पेश किया गया था।

  • कानून के तहत संरक्षित प्रजातियों की संख्या को बढ़ाने के लिए संशोधन पेश किया गया है।

  • विधेयक केंद्र सरकार को आक्रामक विदेशी प्रजातियों के आयात, व्यापार, कब्जे या प्रसार को नियंत्रित करने और रोकने के लिए शक्तियां प्रदान करता है।

  • केंद्र सरकार किसी अधिकारी को आक्रामक प्रजातियों को ज़ब्त करने और उनका निपटान करने के लिये अधिकृत कर सकती है। 

  • यह विधेयक चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को एक राज्य में सभी अभयारण्यों को नियंत्रित करने, प्रबंधित करने और बनाए रखने का काम सौंपता है।

  • मुख्य वन्य जीव वार्डन की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।

  • विधेयक निर्दिष्ट करता है कि मुख्य वार्डन की कार्रवाई अभयारण्य के लिए प्रबंधन योजनाओं के अनुसार होनी चाहिए।

  • राज्य सरकारें राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों से सटे क्षेत्रों को वनस्पतियों और जीवों और उनके आवास की रक्षा के लिए एक संरक्षण रिजर्व के रूप में घोषित कर सकती हैं।

  • विधेयक किसी भी व्यक्ति को किसी भी बंदी जानवरों या पशु उत्पादों को स्वेच्छा से मुख्य वन्य जीवन वार्डन को सौंपने का प्रावधान करता है।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972

  • यह जंगली जानवरों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण, उनके आवासों के प्रबंधन एवं विनियमन तथा जंगली जानवरों, पौधों व उनसे बने उत्पादों के व्यापार पर नियंत्रण के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।

  • अधिनियम के अंतर्गत पौधों और जानवरों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान कर निगरानी की जाती है।

  • अधिनियम को पिछली बार वर्ष 2006 में संशोधित किया गया था और इसका उद्देश्य बाघों और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण को मजबूत करना है।

Please Rate this article, so that we can improve the quality for you -

Date Wise Search