राष्ट्रीय दुग्ध दिवस
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दूध के महत्व और इसके फायदों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य
यह दिवस श्वेत क्रांति के जनक कहे जाने वाले डॉ वर्गीज कुरियन की जयंती है।
2022 “मिल्कमैन ऑफ इंडिया” डॉ. वर्गीज कुरियन की 101वीं जयंती है।
भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है। दूध एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे मनुष्य ही नहीं पशु भी आहार के रूप में लेते हैं।
भारत वैश्विक दुग्ध उत्पादन में 23 प्रतिशत का योगदान देता है।
भारत में दूध का उत्पादन 1950-51 में 17 मीट्रिक टन से बढ़कर 2020-21 में 209.96 मीट्रिक टन हो गया।
पशुपालन और डेयरी विभाग इस वर्ष के "राष्ट्रीय दुग्ध दिवस" को 26 नवंबर 2022 को भारत के सिलिकॉन शहर, बेंगलुरु में "आज़ादी का अमृत महोत्सव" के एक भाग के रूप में मना रहा है।
हर साल 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस भी मनाया जाता है जिसकी स्थापना खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी।
दिन की पृष्ठभूमि
इस दिन की शुरुआत इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) ने 2014 में की थी।
वर्ष 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने ऑपरेशन फ्लड नामक एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू किया था।
इस कार्यक्रम को सबसे बड़े कार्यक्रमों में से एक माना गया और इसका उद्देश्य पूरे देश में दूध ग्रिड विकसित करना था।
इससे भारत दूध और दुग्ध उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया। बाद में इसे श्वेत क्रांति के नाम से जाना जाने लगा।
श्वेत क्रांति या ऑपरेशन फ्लड ने दूध का उत्पादन बढ़ाने और ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने के उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित किया।
केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री - पुरुषोत्तम रूपाला
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