केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेरिस समझौते के तहत भारत के अद्यतन एनडीसी को मंजूरी दी
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केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 3 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यूएनएफसीसीसी) को सूचना दिए जाने के लिए भारत के राष्ट्रीय स्तर पर अद्यतन निर्धारित योगदान (एनडीसी) को मंजूरी दे दी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
अद्यतन एनडीसी, पेरिस समझौते के तहत आपसी सहमति के अनुरूप जलवायु परिवर्तन के खतरे का मुकाबले करने के लिए वैश्विक कार्रवाई को मजबूत करने की दिशा में भारत के योगदान में वृद्धि करने का प्रयास करता है।
यह भारत की उत्सर्जन-वृद्धि को कम करने के रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद करेगा।
यह देश के हितों को संरक्षित करेगा और यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों व प्रावधानों के आधार पर भविष्य की विकास आवश्यकताओं की रक्षा करेगा।
COP-26 पर भारत का रुख
भारत ने भारत की जलवायु क्रिया के निम्नलिखित पांच अमृत तत्व (पंचामृत) प्रस्तुत किए हैं -
2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता तक पहुंच।
2030 तक भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को अक्षय ऊर्जा के द्वारा 50 प्रतिशत पूरा करना।
अब से 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करना।
2005 के स्तर से 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 45 प्रतिशत की कमी।
2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी)
इस पर 1992 में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में हस्ताक्षर किए गए थे, जिसे पृथ्वी शिखर सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है।
इसे 21 मार्च, 1994 को लागू किया गया था, और 197 देशों द्वारा इसकी पुष्टि की गई है।
यह एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है जो ग्रीनहाउस गैसों के वायुमंडलीय सांद्रता को कम करने का प्रयास करती है।
इसका उद्देश्य पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के साथ खतरनाक मानवजनित हस्तक्षेप को रोकना है।
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