यूपी के सुहेलवा अभयारण्य में बाघों का पहला फोटोग्राफिक प्रमाण दर्ज किया गया
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देश में बाघों की जनगणना पर हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य एक नया क्षेत्र है जहां पहली बार बाघों के फोटोग्राफिक साक्ष्य दर्ज किए गए हैं।
सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य के बारे में
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती, बलरामपुर और गोंडा जिलों में स्थित इस अभयारण्य को 1988 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था।
यह 452 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है।
यह भारत-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित है तथा प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है।
इसका नाम राजा सोहेलदेव के नाम पर रखा गया है।
अभयारण्य क्षेत्र से सटे हिमालय की शिवालिक पर्वतमालाएँ हैं।
यह भाबर-तराई इको-सिस्टम क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है जो जैव विविधता से समृद्ध है।
वनस्पतियाँ: मुख्य वृक्ष साल, असना, खैर, सागौन आदि। अभयारण्य क्षेत्र औषधीय पौधों से समृद्ध है। औषधीय पौधों की कुछ प्रजातियाँ सफेद मुसुली, काली मुसुली, मुरलीवाला लोंगम और अधतोड़ा वासिका आदि हैं।
जीव-जंतु: यहाँ विभिन्न प्रकार के स्तनधारी पाए जाते हैं। तेंदुआ, भालू, भेड़िया, लकड़बग्घा, सियार, जंगली सूअर, सांभर, चित्तीदार हिरण आदि।
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