आरबीआई ने बेहतर पर्यवेक्षण के लिए एनबीएफसी-अपर लेयर में 16 एनबीएफसी की सूची की घोषणा की

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)) ने क्षेत्र के बेहतर और उन्नत विनियमन के लिए 30 सितंबर 2022 को 16 गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों- अपर लेयर (एनबीएफसी-यूएल) की सूची जारी की ।

आरबीआई ने अक्टूबर 2021 में एनबीएफसी के लिए स्केल आधारित विनियमन की घोषणा की थी ।

स्केल आधारित विनियमन

आरबीआई ने बैंकिंग विनियमन पर बेसल समिति (बीसीबीएस) द्वारा विकसित मॉडल के आधार पर एनबीएफसी के लिए स्केल आधारित विनियमन की अवधारणा पेश की है ।बीसीबीएस मॉडल ने बैंकों के आकार और देश की अर्थव्यवस्था में इसके महत्व के अनुसार बैंकों के विनियमन की आनुपातिकता का सिद्धांत पेश किया गया है । इस  सिद्धांत के अनुसार अगर कोईबैंक किसी देश में इतना बड़ा हों की अगर वह दिवालिया हों जाये तो उस देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, तो उन प्रकार के बैंकों को देश के केंद्रीय बैंक द्वारा अधिक पर्यवेक्षण की आवश्यकता होगी ।

भारत में इस प्रकार के बैंकों को घरेलू-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) कहा जाता है। भारत मेंवर्त्तमान में आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एसबीआई  डी-एसआईबी के श्रेणी में आते हैं।

एनबीएफसी के लिए स्केल आधारित विनियमन और प्रकार

इसी तरह की अवधारणा भारत में एनबीएफसी के लिए पेश की गई है। अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम और उनके महत्व के अनुसार, आरबीआई ने एनबीएफसी को चार स्केल  में विभाजित किया है: बेस लेयर, मिडिल लेयर, अपर लेयर और टॉप लेयर।

निचली स्केल में  शामिल एनबीएफसी को एनबीएफसी-बेस लेयर (एनबीएफसी-बीएल) के रूप में जाना जाएगा। मध्य स्केल शामिल  में एनबीएफसी को एनबीएफसी- मिडिल लेयर (एनबीएफसी-एमएल) के रूप में जाना जाएगा ,ऊपरी स्केल  में शामिल  एनबीएफसी को एनबीएफसी-अपर लेयर  (एनबीएफसी-यूएल) के रूप में जाना जाएगा और शीर्ष परत में एनबीएफसी को एनबीएफसी-टॉप लेयर (एनबीएफसी-टीएल) के रूप में जाना जाएगा।

बेस लेयर एनबीएफसी को कम महत्वपूर्ण और कम जोखिम भरा माना जाता है और अपर लेयर के एनबीएफसी के विफल होने पर अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का सबसे अधिक जोखिम होता है।

आरबीआई द्वारा एनबीएफसी के पर्यवेक्षण का स्तर विनियमन की आनुपातिकता के सिद्धांत के अनुसार जोखिम पर निर्भर करेगा।इसका मतलब है कि अपर लेयर  वाली एनबीएफसी को आरबीआई द्वारा बहुत बारीकी से विनियमित किया जाएगा और उन्हें आरबीआई के अतिरिक्त दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

आरबीआई को उम्मीद नहीं है कि किसी एनबीएफसी को टॉप स्केल में  रखा जाएगा।

कंपनियों की सूची

एनबीएफसी-यूएल सूची में शामिल 16 कंपनियां हैं:

एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, बजाज फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज, श्रीराम ट्रांसपोर्ट, टाटा संस, एलएंडटी फाइनेंस, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस, पिरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस, चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी, सांघवी फाइनेंस प्रा। लिमिटेड, मुथूट फाइनेंस, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस, टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, आदित्य बिड़ला फाइनेंस, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज और बजाज हाउसिंग फाइनेंस।

आरबीआई द्वारा एनबीएफसी का विनियमन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम 1934 में एनबीएफसी  का उल्लेख किया गया है। हालाँकि,  आरबीआई को  एनबीएफसीको विनियमित और पर्यवेक्षण करने की शक्ति 1964 में मिली थी जब भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934  में अध्याय III-B डाला गया था।। एनबीएफसी को विनियमित और पर्यवेक्षण करने की आरबीआई की शक्ति को बाद में विभिन्न संशोधनों द्वारा बढ़ाया गया है।

फुल फॉर्म

एनबीएफसी/NBFC: नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (Non-Banking Finance Company)

डी-एसआईबी/ D-SIB:  डोमेस्टिक- सस्टेमिक्ली इम्पोर्टेन्ट बैंक्स( Domestic- Systemically Important Banks)

बीसीबीएस /BCBS: बेसल कमिटी ओन बैंकिंग  रेगुलेशन (Basel Committee on Banking Regulation)

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