सरकार सभी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को नियंत्रित करने के लिए मॉडल उप-नियम लाएगी

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सरकार देश में सभी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) को संचालित करने के लिए मॉडल उप-नियम लाएगी।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • वह 12 अगस्त को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में सहकारिता मंत्रालय और नेशनल फेडरेशन ऑफ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स (NAFSCOB) द्वारा आयोजित ग्रामीण सहकारी बैंकों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

  • उन्होंने कहा कि बीमार और बंद हो चुके पैक्स को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए या परिसमापन के लिए लिया जाना चाहिए।

  • केवल कृषि ऋण देने से पैक्स व्यवहार्य नहीं होगा, उन्हें अपने व्यवसाय में विविधता लानी चाहिए।

  • उन्होंने सहकारी समितियों के माध्यम से 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि-वित्त प्रदान करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश भर में 2 लाख से अधिक नए पैक्स स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

  • वर्तमान में 95,000 से अधिक पैक्स हैं, जिनमें से केवल 63,000 पैक्स ही कार्यरत हैं।

  • ये मॉडल उप-कानून का कार्यान्वयन राज्यों पर निर्भर होगा क्योंकि सहकारिता राज्य सूची (अनुसूची VII) का विषय है।

प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ (PACS) क्या हैं?

  • ये जमीनी स्तर की सहकारी ऋण संस्थाएँ हैं जो किसानों को विभिन्न कृषि और कृषि गतिविधियों के लिए अल्पकालिक और मध्यम अवधि के कृषि ऋण प्रदान करती हैं।

  • यह ग्राम पंचायत और ग्राम स्तर पर कार्य करता है।

  • 1904 में पहली प्राथमिक कृषि ऋण समिति (PACS) की स्थापना की गई थी।

  • पैक्स सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत होते हैं और आरबीआई द्वारा विनियमित होते हैं।

पैक्स के उद्देश्य

  • ऋण लेने के उद्देश्य से पूंजी जुटाना 

  • सदस्यों की आवश्यक गतिविधियों का समर्थन करना

  • सदस्यों की बचत की आदत में सुधार लाने के लक्ष्य से जमा राशि एकत्र करना

  • सदस्यों के लिए पशुधन की उन्नत नस्लों की आपूर्ति और विकास की व्यवस्था करना

  • सदस्यों को उचित मूल्य पर कृषि आदानों और सेवाओं की आपूर्ति करना

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