रक्षा मंत्रालय ने सीमावर्ती क्षेत्रों में 'बीआरओ कैफे' को दी मंजूरी
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रक्षा मंत्रालय ने 12 राज्यों व केंद्र शासित क्षेत्रों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के साथ विभिन्न सड़कों पर 75 स्थानों पर ‘बीआरओ कैफे’ ब्रांड के तहत सुविधाएं स्थापित करने को मंजूरी दी है।
इसका उद्देश्य पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना और सीमा क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना है।
सड़क किनारे स्थापित होने वाले इन प्रतिष्ठानों को ‘बीआरओ कैफे’ के नाम से जाना जाएगा।
इन कैफे में वाहनों के लिए पार्किंग, फूड प्लाजा, रेस्तरां, महिलाओं, पुरुषों व दिव्यांगों के लिए अलग-अलग जनसुविधाएं, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा आदि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
इसके लिए 15 साल के लिए करार किया जाएगा जिसे बाद में पांच और वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है।
इस योजना को लाइसेंस के आधार पर एजेंसियों के साथ मिल कर किया जाएगा।
एजेंसियां बीआरओ द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार बीआरओ कैफे का निर्माण और संचालन करेंगी।
इससे सीमावर्ती इलाकों में यातायात के साथ ही पर्यटन के विकास तेजी से होगा।
इसके लिए अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में मंजूरी दी गई है।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ)
यह 2015 से रक्षा मंत्रालय के नियंत्रण में कार्य करता है।
संगठन की स्थापना 7 मई, 1960 को हुई थी।
यह भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।
यह संगठन देश के सीमावर्ती क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बीआरओ की सबसे बड़ी ढांचागत उपलब्धियों में से एक हिमाचल प्रदेश में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग, अटल सुरंग का निर्माण है।
महानिदेशक सीमा सड़क संगठन - लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी
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