भारत-रूसी व्यापार पर टास्क फोर्स

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भारत सरकार ने रुपया-रूबल व्यापार व्यवस्था की व्यवहार्यता की जांच करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी कार्य बल का गठन किया है।

  • अंतर-मंत्रालयी कार्य बल के अध्यक्ष वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, श्री अजय सेठ हैं।  

  • अमेरिकी और यूरोपीय सरकार ने कई प्रमुख रूसी बैंकों को स्विफ्ट (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन) भुगतान तंत्र से अवरुद्ध कर दिया है।

  • इससे  रूस के साथ अमेरिकी डॉलर और यूरो में भुगतान करना लगभग असंभव हों गया है। भारतीय निर्यातकों का लगभग 50 करोड़ डॉलर का भुगतान रूसियों के पास अटका हुआ है और इससे दोनों देशों के व्यापार पर बुरा असर हों रहा है। 

  • टास्क फोर्स रूस के साथ वैकल्पिक भुगतान तंत्र का पता लगाएगी।

रुपया-रूबल एक्सचेंज कोई नई बात नहीं है। इसकी नींव 02 दिसंबर 1953 को दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित भारत-सोवियत व्यापार समझौते में थी। इस समझौता के तहत  भारत और सोवियत संघ के बीच सभी भुगतान भारतीय रुपये में किए जा सकते हैं। हालाँकि सोवियत संघ के विघटन के बाद यह समझौता समाप्त हो गया और रूसी सरकार ने अमेरिकी डॉलर जैसी में भुगतान पर जोर दिया।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण

रूसी मुद्रा: रूबल

स्विफ्ट के विवरण और स्पष्ट समझ के लिए स्विफ्ट पर हमारे ब्लॉग देखें।

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